शेर का डरपोक राज ( Darpok Sher Ki Kahani)

darpok sher ki kahani

“पढ़ें ‘शेर का डरपोक राज’ – एक मजेदार और नैतिक कहानी, जिसमें डरपोक शेर रघु अपने छोटे दोस्त चिंटू की मदद से हिम्मत सीखता है। हंसी, रोमांच और सीख से भरी यह कहानी (animal story in hindi) बच्चों और बड़ों को पसंद आएगी।”

शेर का डरपोक राज ( Sher Ka Darpok Raaj Animal Story)

एक घने जंगल में एक शेर रहता था, जिसका नाम था रघु। रघु की दहाड़ इतनी जोरदार थी कि जंगल के सारे जानवर उससे डरते थे। उसकी मोटी मूंछें, चमकदार पीली आंखें और विशाल शरीर देखकर कोई भी समझ जाता था कि वह जंगल का राजा है। लेकिन एक बात थी जो किसी को नहीं पता थी—रघु असल में बहुत डरपोक था। हां, आपने सही सुना! जंगल का राजा, जो बाहर से इतना भयानक लगता था, अंदर से एकदम कायर था।

यह कहानी तब शुरू होती है जब एक दिन जंगल में भारी बारिश हुई। बिजली कड़क रही थी, और बादल ऐसे गरज रहे थे जैसे कोई बड़ा राक्षस आसमान में नाच रहा हो। रघु अपनी गुफा में बैठा कांप रहा था। “अरे, ये क्या हो रहा है? कहीं आसमान टूटकर मेरे सिर पर तो नहीं गिरेगा?” उसने सोचा। तभी एक छोटा सा चूहा, जिसका नाम था चिंटू, बारिश से बचने के लिए रघु की गुफा में घुस आया।

“शेर भैया, मुझे अपनी गुफा में जगह दे दो, बाहर बहुत पानी बरस रहा है!” चिंटू ने चीं-चीं करते हुए कहा।
रघु ने उसे देखा और डर के मारे चिल्लाया, “अरे, ये क्या है? कोई भूत-वूत तो नहीं?”
चिंटू हंस पड़ा, “अरे नहीं, शेर भैया, मैं तो बस एक छोटा सा चूहा हूं। आप तो जंगल के राजा हैं, मुझसे डर क्यों रहे हैं?”

रघु ने अपनी दहाड़ के साथ कहा, “हां-हां, मैं डरपोक थोड़े ही हूं। बस ये बिजली की आवाज़ मुझे परेशान कर रही है।” लेकिन चिंटू समझ गया कि शेर का दिल कितना नन्हा है। उसने सोचा, “चलो, इसका डर थोड़ा कम करूं।”
“शेर भैया, चलो एक खेल खेलते हैं। बारिश रुकने तक हम कहानियां सुनाएंगे।”

रघु को यह विचार पसंद आया। उसने कहा, “ठीक है, लेकिन पहले तू सुनाना।”
चिंटू ने शुरू किया, “एक बार एक शेर था, जो बहुत बहादुर था। उसने एक बार जंगल में आए भयानक सांप को अपनी दहाड़ से भगा दिया।”
रघु ने गर्व से सीना चौड़ा किया, “हां, ऐसा ही कुछ मैं भी कर सकता हूं।” लेकिन मन ही मन वह सोच रहा था, “सांप? अरे बाप रे, मैं तो उसकी फुफकार से ही भाग जाऊंगा।”

तभी बाहर से एक जोरदार आवाज़ आई—धड़ाम! एक पेड़ बिजली गिरने से टूटकर गिर गया था। रघु डर के मारे गुफा के कोने में जा छिपा। “ये क्या था? कोई मुझ पर हमला तो नहीं करने आया?” उसने कांपते हुए पूछा।
चिंटू हंसते हुए बोला, “अरे शेर भैया, ये तो बस पेड़ था। आप तो जंगल के राजा हैं, इतना डरते क्यों हैं?”

रघु ने अपनी शर्म छिपाने के लिए कहा, “मैं डर नहीं रहा, बस चौकन्ना हो रहा था।” लेकिन चिंटू ने ठान लिया कि वह रघु का डर दूर करेगा। उसने कहा, “चलो, बाहर चलकर देखते हैं। बारिश थम गई है।”
रघु ने मना किया, “नहीं-नहीं, बाहर अभी खतरा हो सकता है।” लेकिन चिंटू ने उसे खींचते हुए कहा, “आप मेरे साथ चलो, मैं आपको हिम्मत सिखाऊंगा।”

बाहर निकलते ही रघु ने देखा कि जंगल में सब शांत था। पेड़ गिरा हुआ था, लेकिन कोई खतरा नहीं था। चिंटू ने कहा, “देखो शेर भैया, डर वो चीज़ है जो हमारे दिमाग में होती है। असल में बाहर कुछ भी इतना डरावना नहीं है।”
रघु को बात समझ में आई, लेकिन उसका डर अभी पूरी तरह गया नहीं था। तभी जंगल में एक सियार की आवाज़ आई, “हू-हू-हू!” रघु फिर से कांपने लगा। “ये क्या था? कोई भूतिया जानवर तो नहीं?”
चिंटू ने हंसते हुए कहा, “अरे, ये तो बस सियार है। चलो, इसके पास चलकर देखते हैं।”

रघु अनमने मन से चिंटू के पीछे-पीछे चल पड़ा। सियार एक पेड़ के पास बैठा अपनी पूंछ से खेल रहा था। चिंटू ने कहा, “शेर भैया, अब अपनी दहाड़ दिखाओ। इसे भगाओ!”
रघु ने हिम्मत जुटाई और जोर से दहाड़ा, “हूंआआआआ!” सियार डर के मारे भाग गया। रघु हैरान रह गया। “अरे, ये तो सच में भाग गया!”
चिंटू बोला, “देखा? आपकी हिम्मत आपकी दहाड़ में है, बस उसे बाहर लाने की जरूरत है।”

अगले दिन जंगल में खबर फैल गई कि शेर ने सियार को भगा दिया। सब जानवर रघु की तारीफ करने लगे। एक लोमड़ी ने कहा, “वाह, शेर भैया, आप तो बहुत बहादुर हैं!”
रघु ने सीना फुलाया और कहा, “हां, मैं जंगल का राजा हूं।” लेकिन चिंटू को सच पता था। उसने रघु से धीरे से कहा, “शेर भैया, बहादुरी दिखाने से नहीं, करने से आती है। अब आप सच में राजा बन सकते हैं।”

कुछ दिन बाद जंगल में एक असली मुसीबत आई। एक भयानक भेड़िया जंगल में घुस आया था। वह जानवरों को डरा रहा था और शिकार कर रहा था। सब रघु के पास मदद मांगने आए। रघु का दिल धक-धक कर रहा था। वह सोच रहा था, “अब क्या करूं? ये तो सियार नहीं, भेड़िया है!”
चिंटू ने पास आकर कहा, “शेर भैया, याद करो अपनी दहाड़। आप कर सकते हैं। मैं आपके साथ हूं।”

रघु ने हिम्मत जुटाई। वह भेड़िए के सामने गया और जोर से दहाड़ा। उसकी आवाज़ इतनी तेज थी कि पूरा जंगल गूंज उठा। भेड़िया पहले तो रुका, फिर डर के मारे भाग गया। जंगल के सारे जानवर खुश हो गए। “शेर भैया जिंदाबाद!” सब चिल्लाने लगे।
रघु को पहली बार लगा कि वह सच में जंगल का राजा है। उसने चिंटू को गले लगाया और कहा, “तेरे बिना मैं ये न कर पाता। तू मेरा असली दोस्त है।”

Moral Story:

डर हर किसी के मन में होता है, लेकिन उसे हिम्मत से हराया जा सकता है। सच्ची बहादुरी वो नहीं जो बाहर दिखती है, बल्कि वो जो अंदर से आती है। और कभी-कभी छोटे दोस्त भी बड़े सबक सिखा जाते हैं।

 

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