बादशाह की अंगूठी (Akbar Birbal Rochak Kahani)

एक दिन बादशाह अकबर अपने महल के बगीचे में टहल रहे थे। उनकी उंगली में एक कीमती अंगूठी थी, जिसे वह बहुत पसंद करते थे। उसमें चमकता हुआ नीलम और चारों ओर बारीक नक्काशी थी। टहलते-टहलते अचानक उनकी नजर अपनी उंगली पर गई और वह चौंक पड़े—अंगूठी गायब थी!
अकबर ने तुरंत अपने सिपाहियों को बुलाया और बगीचे की तलाशी लेने का आदेश दिया। सिपाही इधर-उधर दौड़ने लगे, लेकिन अंगूठी का कहीं पता नहीं चला। बादशाह गुस्से में आ गए और बोले, “यह अंगूठी मेरे लिए बहुत कीमती है। जो इसे ढूंढ लाएगा, उसे इनाम मिलेगा, और अगर कोई चोर निकला तो उसे कड़ी सजा!”
मामला जब दरबार में पहुंचा, तो अकबर ने बीरबल को बुलाया। “बीरबल, तुम्हारी बुद्धि पर मुझे भरोसा है। मेरी अंगूठी ढूंढो!” बीरबल ने शांत मन से बादशाह की बात सुनी और बोले, “हुजूर, मुझे थोड़ा समय दीजिए। मैं सच सामने लाऊंगा।”
बीरबल ने सबसे पहले बगीचे की जांच की। वहां काम करने वाले माली, सिपाही और कुछ नौकरों से पूछताछ की। किसी ने कुछ नहीं बताया। फिर बीरबल ने एक चाल चली। उन्होंने दरबार में ऐलान करवाया, “बादशाह की अंगूठी एक जादुई अंगूठी है। जो इसे छुपाएगा, उसे रात में नींद नहीं आएगी, और उसका चेहरा सुबह तक काला पड़ जाएगा!”
अगले दिन सुबह, बीरबल ने सभी नौकरों और बगीचे में काम करने वालों को दरबार में बुलाया। एक-एक करके सबके चेहरे देखे। तभी उनकी नजर एक माली पर पड़ी, जिसका चेहरा डर और बेचैनी से थोड़ा फीका लग रहा था। बीरबल ने उससे पूछा, “क्यों भाई, रात को नींद नहीं आई क्या?” माली घबरा गया और बोला, “नहीं सरकार, मैंने कुछ नहीं किया!”
बीरबल ने शांत स्वर में कहा, “तो फिर अपनी जेब क्यों छुपा रहे हो?” माली की हालत खराब हो गई। उसने कांपते हाथों से जेब से अंगूठी निकाली और बोला, “मुझे माफ कर दें! मैंने इसे बगीचे में पड़ा देखा और लालच में रख लिया।”
अकबर गुस्से में थे, लेकिन बीरबल ने कहा, “हुजूर, इसने सच बोल दिया। इसे माफ करें और भविष्य में ईमानदारी का सबक दें।” अकबर ने बीरबल की सलाह मानी और माली को माफ कर दिया, लेकिन उसे चेतावनी दी कि दोबारा ऐसी गलती न करे।
दरबार में सबने बीरबल की तारीफ की। अकबर ने हंसते हुए कहा, “बीरबल, तुम्हारी चतुराई के बिना मेरा दरबार अधूरा है!” और इस तरह, बादशाह की अंगूठी वापस मिल गई।
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