पति की नींद और पत्नी का खर्राटा (Pati Patni Ki Majedar Kahani)

pati patni ki majedar kahani

पति की नींद और पत्नी का खर्राटा (Majedar Family Story)

शाम के सात बज रहे थे। दिल्ली के एक छोटे से मोहल्ले में, दो मंजिला मकान की दूसरी मंजिल पर, संजय अपनी पत्नी रेखा के साथ ड्राइंग रूम में बैठा टीवी देख रहा था। संजय एक मिडिल-क्लास सरकारी नौकर था, जिसकी जिंदगी घड़ी की सुइयों की तरह चलती थी—सुबह नौ बजे ऑफिस, शाम छह बजे घर, फिर खाना और सोना। लेकिन पिछले कुछ दिनों से उसकी नींद में खलल पड़ रहा था, और वजह थी रेखा का खर्राटा।

रेखा एक जिंदादिल और थोड़ी जिद्दी औरत थी। उसकी खासियत थी कि वो हर बात को हल्के में लेती थी, लेकिन जब खर्राटों की बात आती, तो वो इसे अपनी शान समझती थी। “अरे, ये तो मेरी ताकत का सबूत है,” वो हंसते हुए कहती, “जो औरत खर्राटे नहीं लेती, वो सच्ची नींद क्या जाने!” संजय बस मुस्कुरा देता, लेकिन अंदर ही अंदर उसकी नींद की बलि चढ़ रही थी।

उस रात खाना खाने के बाद दोनों बेडरूम में गए। संजय ने सोचा कि आज शायद चैन की नींद आएगी। उसने ऑफिस में दिनभर की थकान को याद किया और बिस्तर पर लेटते ही आंखें बंद कर लीं। लेकिन अभी पांच मिनट भी नहीं बीते थे कि रेखा की “खर्राटा सिम्फनी” शुरू हो गई। पहले तो हल्की-हल्की “खुर-खुर” की आवाज आई, फिर धीरे-धीरे वो “घुर्र-घुर्र” में बदल गई। संजय ने तकिए से मुंह ढक लिया, लेकिन आवाज ऐसी थी कि तकिया भी बेकार साबित हुआ।

“रेखा, थोड़ा करवट ले लो न,” संजय ने धीरे से कहा, उम्मीद में कि शायद आवाज कम हो जाए।
“हम्म… क्या?” रेखा नींद में बड़बड़ाई और फिर दूसरी तरफ मुड़ गई। लेकिन अब खर्राटे की दिशा बदल गई—अब वो सीधे संजय के कानों में जा रहे थे। संजय ने एक गहरी सांस ली और उठकर पानी पीने चला गया।

रात के दो बजे तक संजय बिस्तर पर करवटें बदलता रहा। उसने सोचा, “क्या करूं? इसे जगाऊं? पर ये तो कहेगी कि मैं ओवररिएक्ट कर रहा हूं।” आखिरकार उसने एक तरकीब सोची। उसने अपना फोन निकाला और रेखा के खर्राटों की रिकॉर्डिंग शुरू कर दी। सोचा कि सुबह इसे सुनाकर सबूत पेश करेगा। करीब दस मिनट की रिकॉर्डिंग के बाद वो थककर सो गया।

सुबह जब रेखा चाय लेकर आई, तो संजय ने बड़े प्यार से कहा, “रेखा, तुम्हारी नींद तो बहुत गहरी थी न कल रात?”
“हां, बहुत अच्छी नींद आई। तुम्हें भी तो आई होगी?” रेखा ने मुस्कुराते हुए कहा।
“हां, बिल्कुल,” संजय ने तंज कसते हुए कहा, “तुम सुनाओ मेरी नींद की कहानी।” उसने फोन निकाला और रिकॉर्डिंग चला दी। जैसे ही “घुर्र-घुर्र” की आवाज कमरे में गूंजी, रेखा का चेहरा लाल हो गया।

“ये क्या है?” रेखा ने गुस्से में पूछा।
“ये तुम्हारा रात का राग है, मैडम,” संजय ने हंसते हुए कहा। “मुझे लगा तुम्हें भी अपने टैलेंट का सबूत चाहिए।”
रेखा ने पहले तो उसे घूरा, फिर हंस पड़ी। “अच्छा, तो अब तुम जासूस बन गए हो? ठीक है, आज से मैं खर्राटे नहीं लूंगी।”
संजय को यकीन नहीं हुआ, लेकिन उसने सोचा कि शायद ये मज़ाक काम कर गया।

अगली रात संजय बड़े उत्साह से सोने गया। उसने सोचा कि आज रेखा ने वादा किया है, तो शायद चैन से सो पाएगा। लेकिन जैसे ही घड़ी ने बारह बजाए, रेखा के खर्राटे फिर शुरू हो गए—इस बार पहले से भी तेज। संजय ने तकिया उठाया और ड्राइंग रूम में सोफे पर जा लेटा। “ये औरत कभी नहीं सुधरेगी,” उसने मन ही मन कहा।

अगले दिन संजय ने ऑफिस में अपने दोस्त रमेश को सारी कहानी सुनाई। रमेश ने हंसते हुए कहा, “भाई, ये तो हर शादीशुदा मर्द की तकदीर है। मेरी बीवी भी ऐसे खर्राटे लेती है कि लगता है कोई ट्रैक्टर पास से गुजर रहा हो। मैंने तो ईयरप्लग ले लिए हैं। तू भी ट्राई कर।”
संजय को ये आइडिया पसंद आया। उसने शाम को बाजार से ईयरप्लग खरीदे और रात को बड़े जोश में उन्हें लगाकर सोया। शुरू में तो सब ठीक रहा, लेकिन आधी रात को रेखा के खर्राटों ने ईयरप्लग की भी हार करवा दी। आवाज भले कम हो गई थी, लेकिन कंपन अभी भी बिस्तर से संजय के शरीर तक पहुंच रहा था।

संजय ने हार नहीं मानी। अगले दिन उसने एक नया प्लान बनाया। उसने रेखा से कहा, “सुनो, तुम्हें डॉक्टर को दिखाना चाहिए। ये खर्राटे नॉर्मल नहीं हैं।”
रेखा ने पहले तो मना किया, लेकिन संजय के बार-बार कहने पर वो मान गई। डॉक्टर के पास पहुंचते ही संजय ने सारी कहानी सुनाई। डॉक्टर ने हंसते हुए कहा, “ये कोई बड़ी बात नहीं है। थोड़ा वजन कम करें और सोने की पोजीशन बदलें, ठीक हो जाएगा।”

रेखा को ये बात नागवार गुजरी। “मेरा वजन ज्यादा है? अरे, मैं तो अभी भी मिस दिल्ली बन सकती हूं!” उसने घर आकर संजय को ताना मारा। लेकिन फिर उसने सोचा कि शायद कोशिश करने में हर्ज नहीं। उसने अगले दिन से योग शुरू कर दिया। सुबह-सुबह वो “अनुलोम-विलोम” और “कपालभाति” करने लगी। संजय को लगा कि शायद अब उसकी नींद की किस्मत बदल जाएगी।

कुछ दिन तक तो सब ठीक रहा। रेखा के खर्राटे कम हो गए, और संजय को चैन की नींद मिलने लगी। लेकिन एक रात फिर वही पुराना राग शुरू हो गया। संजय ने गुस्से में तकिया उठाया और रेखा को जगाया। “तुमने कहा था कि खर्राटे बंद हो जाएंगे!”
रेखा ने नींद में आंखें मलते हुए कहा, “अरे, आज मैंने समोसे खाए थे। शायद इसलिए। कल से फिर योग शुरू करूंगी।”
संजय का मुंह लटक गया। “समोसे? मतलब ये खर्राटे अब मेरी डाइट पर भी निर्भर हैं?”

आखिरकार संजय ने फैसला किया कि वो इस जंग को हास्य से जीतेगा। उसने एक दिन रेखा के खर्राटों की रिकॉर्डिंग को अपने दोस्तों के व्हाट्सएप ग्रुप में डाल दिया और लिखा, “मेरी बीवी का नया अलार्म टोन।” ग्रुप में हंसी के ठहाके लग गए। रमेश ने लिखा, “भाई, इसे रिंगटोन बना दो। सुबह कोई सोता ही न रहे।”

जब रेखा को ये बात पता चली, तो वो नाराज होने की बजाय हंस पड़ी। “अच्छा, तो अब मैं फेमस हो गई हूं? ठीक है, अब से मैं खर्राटे लेते वक्त स्टाइल से लूंगी।” उस रात उसने जानबूझकर इतने जोर से खर्राटे लिए कि संजय हंसते-हंसते बिस्तर से गिर गया।

अंत में संजय ने समझ लिया कि रेखा के खर्राटे उसकी जिंदगी का हिस्सा हैं। उसने ईयरप्लग, तकिए और हास्य के साथ इस मुसीबत को गले लगाना सीख लिया। और रेखा? वो आज भी कहती है, “खर्राटे मेरी ताकत हैं, और तुम मेरे प्यारे नींद के दुश्मन!”

इस तरह, संजय और रेखा की ये छोटी-सी मुसीबत उनके जीवन में हंसी का मसाला बन गई। नींद भले कम मिले, लेकिन प्यार और मस्ती में कोई कमी नहीं थी।

 

गांव की कहानियां (Village Stories in Hindi)

मजेदार कहानियां (Majedar Kahaniyan)

अकबर बीरबल कहानियां (Akbar Birbal Kahaniyan)