गायब खजाना (Gayab Khajana Akbar Birbal Hindi Story)

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बादशाह अकबर के शाही खजाने से एक रात सोने के सिक्कों का थैला गायब हो गया। खजाने का प्रबंधक हरीशचंद्र घबराया हुआ दरबार में पहुँचा और बोला, “हुजूर, खजाना चोरी हो गया! ताला नहीं टूटा, कोई निशान नहीं, फिर भी थैला गायब है!” अकबर ने बीरबल को बुलाया और कहा, “बीरबल, इस रहस्य को सुलझाओ, वरना मेरी नाक कट जाएगी!”

बीरबल ने खजाने के कमरे का जायजा लिया। वहाँ कोई खिड़की टूटी नहीं थी, और केवल चार लोग कमरे तक पहुँच सकते थे: हरीशचंद्र, उसका सहायक रमेश, पहरेदार सूरज, और सफाई वाला मोहन। बीरबल ने चारों को बुलाया और पूछा, “किसने देखा आखिरी बार थैला?”

हरीशचंद्र बोला, “मैंने रात को गिना था, थैला अपनी जगह था।”
रमेश ने कहा, “मैं तो बस कागजात संभालता हूँ, मुझे क्या पता?”
सूरज ने जोर देकर कहा, “मैं रात भर जागता रहा, कोई नहीं आया!”
मोहन ने मासूमियत से कहा, “मैं तो सुबह झाड़ू लगाने आया, मुझे कुछ नहीं दिखा।”

बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा, “चोर यहीं है, और मैं उसे आज ही पकड़ लूँगा।” फिर उन्होंने एक अनोखा प्लान बनाया। बीरबल ने चारों को दरबार में बुलाया और घोषणा की, “हुजूर, मैंने खजाने के कमरे में एक जादुई पत्थर रखा था। यह पत्थर चोर के हाथ को चमका देता है, और रात तक उसकी चमक सबके सामने आ जाएगी। आज शाम को मैं चारों के हाथ देखूँगा। जो चमकेगा, वही चोर!”

अकबर को यह तरकीब पसंद आई, और चारों को शाम तक इंतजार करने को कहा गया। बीरबल जानते थे कि कोई जादुई पत्थर नहीं है, लेकिन चोर को डराने के लिए यह झूठ काफी था।

शाम को जब दरबार सजा, बीरबल ने चारों को बुलाया। उन्होंने एक-एक करके उनके हाथ देखे। हरीशचंद्र, रमेश, और मोहन के हाथ सामान्य थे, लेकिन सूरज के हाथ साफ-सुथरे थे—बल्कि, बहुत ज्यादा साफ! बीरबल ने हँसते हुए कहा, “हुजूर, सूरज ही चोर है!”

अकबर ने हैरानी से पूछा, “कैसे?”
बीरबल बोले, “मैंने जादुई पत्थर की बात इसलिए कही ताकि चोर डरे। सूरज ने सोचा कि अगर उसके हाथ चमक गए, तो वह पकड़ा जाएगा। इसलिए उसने दिन भर अपने हाथों को रगड़-रगड़ कर धोया, यहाँ तक कि उनकी चमक ही चली गई! बाकी तीनों ने अपने हाथ सामान्य रखे, क्योंकि वे निर्दोष थे। सूरज का डर उसकी चोरी को उजागर कर गया।”

सूरज घबरा गया और कबूल कर लिया, “हाँ, मैंने थैला चुराया और उसे कुएँ के पास छिपाया!” बीरबल ने सिपाहियों को भेजा, और थैला बरामद हो गया। अकबर ने बीरबल की चालाकी की तारीफ की और सूरज को सजा दी।

दरबार में हँसी गूँज उठी, और बीरबल ने मजाक में कहा, “हुजूर, अगली बार चोर को पकड़ने के लिए मैं जादुई झाड़ू लाऊँगा!”

नैतिक: चालाकी और बुद्धि से सबसे बड़ा रहस्य भी सुलझाया जा सकता है।

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