ताऊजी की कार और गलत पार्किंग (Galat Parking Family Majedar Kahani)

ताऊजी, यानी हमारे मोहल्ले के सबसे मशहूर और थोड़े से बदनाम शख्स, रामलाल ताऊ। उम्र साठ के पार, मूंछें ऐसी कि बाज़ की तरह तनी रहतीं, और दिल ऐसा कि बच्चे से लेकर बूढ़े तक उनके फैन। पर ताऊजी की एक कमज़ोरी थी—उनकी चमचमाती लाल मारुति 800, जिसे वो अपनी जान से ज़्यादा प्यार करते थे। उस कार की चमक ऐसी थी कि मोहल्ले की मक्खियाँ भी फिसलकर गिर जाएँ। पर उस कार की वजह से ताऊजी की ज़िंदगी में हंगामा कभी कम न था। ये कहानी उसी कार और एक गलत पार्किंग की है, जिसने पूरे मोहल्ले को हँसने का मौका दे दिया।
बात उस रविवार की है, जब ताऊजी ने फैसला किया कि वो बाज़ार जाकर कुछ सामान लाएँगे। ताईजी ने सुबह से ही ताऊजी के सिर पर सवार होकर लिस्ट थमा दी थी—आटा, चीनी, मसाले, और हाँ, “रामलाल, मेरी लाल साड़ी के लिए मैचिंग चूड़ियाँ भी ले आना, और हाँ, कहीं गलत पार्किंग मत करना!” ताऊजी ने मूंछें तानते हुए कहा, “अरी, मैं रामलाल हूँ, मेरी कार कहीं गलत थोड़े ही खड़ी होगी।” ताईजी ने बस आँखें तरेरीं और रसोई में चली गईं।
ताऊजी अपनी कार में सवार हुए। इंजन स्टार्ट करते ही उनकी छाती चौड़ी हो गई। कार की सीट पर बैठते ही वो खुद को किसी राजा से कम नहीं समझते थे। बाज़ार पहुँचते-पहुँचते ताऊजी ने देखा कि पार्किंग की जगह तो भरी पड़ी थी। हर कोने में कारें, स्कूटर, और साइकिलें ठूंसी हुई थीं। ताऊजी ने एक चक्कर लगाया, दूसरा लगाया, पर जगह नहीं मिली। आखिरकार, उनकी नज़र एक छोटी-सी जगह पर पड़ी, जो ठीक एक बड़े से बरगद के पेड़ के नीचे थी। जगह थोड़ी तंग थी, पर ताऊजी ने सोचा, “अरे, मैं तो रामलाल हूँ, मेरी मारुति तो कहीं भी फिट हो जाएगी।”
बस, फिर क्या था? ताऊजी ने कार को ऐसे घुमाया जैसे कोई जादूगर अपनी छड़ी घुमा रहा हो। दस मिनट की मशक्कत के बाद कार आधा पेड़ के नीचे, आधा सड़क पर खड़ी थी। सामने एक दुकान थी, जिसके बाहर लिखा था, “यहाँ पार्किंग न करें, गाड़ी उठाई जाएगी।” ताऊजी ने वो बोर्ड देखा, मूंछें हिलाईं, और बड़बड़ाए, “अरे, ये बोर्ड तो डराने के लिए है। मैं तो बस दस मिनट में लौट आऊँगा।” और वो सामान लेने दुकान में घुस गए।
अब ताऊजी दुकान में थे, और बाहर मोहल्ले का तमाशा शुरू हो चुका था। ताऊजी की कार की वजह से सड़क पर जाम लग गया। एक रिक्शा वाला चिल्ला रहा था, “कौन बेवकूफ है जिसने यहाँ गाड़ी खड़ी की?” दूसरा स्कूटर वाला गुस्से में हॉर्न बजा रहा था। तभी मोहल्ले का सबसे शरारती बच्चा, पप्पू, वहाँ पहुँच गया। पप्पू ने कार देखी, और उसकी आँखों में शरारत की चमक आ गई। उसने अपने दोस्तों को बुलाया, और पाँच मिनट में कार के चारों तरफ बच्चों का मेला लग गया। कोई कार पर उछल रहा था, कोई टायरों पर पत्थर मार रहा था।
इधर, ताऊजी दुकान में चूड़ियों के रंग को लेकर दुकानदार से बहस कर रहे थे। “अरे भाई, ये लाल नहीं, ये तो मटमैला लाल है। मेरी ताईजी को चटक लाल चाहिए!” दुकानदार बेचारा सिर पीट रहा था। तभी बाहर से शोर सुनाई दिया। ताऊजी ने खिड़की से झाँका, और उनका दिल धक् से रह गया। उनकी प्यारी मारुति के आसपास बच्चे हुल्लड़ मचा रहे थे, और एक ट्रैफिक पुलिसवाला नोटबुक में कुछ लिख रहा था।
ताऊजी ने सामान का थैला दुकानदार के हाथ में ठूँसा और भागे। बाहर पहुँचते ही वो चिल्लाए, “अरे, मेरी कार को क्या कर रहे हो तुम लोग?” पप्पू ने मासूमियत से जवाब दिया, “ताऊजी, हम तो बस आपकी कार को चमका रहे हैं!” ताऊजी का गुस्सा सातवें आसमान पर था, पर पुलिसवाले ने उन्हें टोक दिया, “ये आपकी कार है? गलत पार्किंग की है, चालान कटेगा। और हाँ, टायर भी पंचर है।”
ताऊजी का मुँह लटक गया। टायर पंचर? ये तो हद हो गई! उन्होंने देखा, कार का एक टायर सचमुच पंचर था, और पास में पप्पू के दोस्त के हाथ में एक कील चमक रही थी। ताऊजी समझ गए कि ये सब पप्पू की करामात थी। पर अभी गुस्सा दिखाने का वक्त नहीं था। पुलिसवाले ने चालान की पर्ची थमाई और बोला, “गाड़ी हटाओ, वरना क्रेन बुलानी पड़ेगी।”
अब ताऊजी की हालत पतली थी। टायर पंचर, चालान का डर, और ऊपर से ताईजी का सामान अभी भी दुकान में पड़ा था। ताऊजी ने पप्पू को एक घूरा, और फिर मोहल्ले के मैकेनिक, श्यामू को फोन लगाया। श्यामू आधे घंटे बाद पहुँचा, और तब तक ताऊजी को मोहल्ले वालों की ताने सुनने पड़े। कोई बोला, “ताऊजी, आप तो कहते थे आपकी कार सबसे स्मार्ट है!” कोई बोला, “अरे, ये तो सड़क का राजा बन गया!”
श्यामू ने टायर बदला, और ताऊजी ने जैसे-तैसे कार को सही जगह पार्क किया। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। जब ताऊजी सामान लेकर घर पहुँचे, ताईजी ने एक नज़र में सब समझ लिया। “रामलाल, गलत पार्किंग की ना? चालान कटा?” ताऊजी ने मूंछें नीचे कीं और बोले, “अरी, वो तो बस थोड़ा-सा गलतफहमी थी।” ताईजी ने चूड़ियाँ देखीं, और चिल्लाईं, “ये क्या? मैंने चटक लाल माँगा था, ये तो गुलाबी है!”
बस, फिर क्या था? ताईजी की डाँट और ताऊजी की सफाई का दौर शुरू हो गया। मोहल्ले में ये बात फैल गई, और अगले दिन पप्पू ने ताऊजी की कार के पास एक बोर्ड लगा दिया, “ताऊजी की मारुति—पार्किंग का बादशाह!” ताऊजी ने बोर्ड देखा, पहले गुस्सा हुए, फिर हँस पड़े। “अरे, ये मोहल्ला भी ना, मेरी कार के बिना अधूरा है!”
उस दिन के बाद ताऊजी ने कसम खाई कि वो कभी गलत पार्किंग नहीं करेंगे। पर मोहल्ले वालों को यकीन था कि ताऊजी और उनकी मारुति का अगला कारनामा जल्द ही आएगा। और सचमुच, अगले हफ्ते ताऊजी की कार फिर चर्चा में थी—लेकिन वो दूसरी कहानी है!