मेहनती चींटी का अनमोल खजाना (Mehnati Cheenti animal hindi story)

जंगल के बीच एक छोटा सा टीला था, जहाँ चींटियों की बस्ती बसी थी। उस बस्ती में एक चींटी थी, जिसका नाम था चित्रा। चित्रा अपनी मेहनत और लगन के लिए जानी जाती थी। जब बाकी चींटियाँ गर्मियों में थोड़ा आराम करतीं, चित्रा तब भी अनाज के दाने इकट्ठा करने में जुटी रहती। बस्ती की दूसरी चींटियाँ उसका मज़ाक उड़ातीं, “चित्रा, इतनी मेहनत क्यों? हमारे पास तो पहले से ही ढेर सारा अनाज है!”
चित्रा मुस्कुराकर जवाब देती, “मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। शायद ये दाने किसी बड़े काम आएँ।”
एक दिन, जंगल में अजीब सी हलचल हुई। आसमान में काले बादल छाए, और तेज़ हवाएँ चलने लगीं। चींटियों को पता चला कि एक बड़ा तूफान आने वाला है। बस्ती की मुखिया, बड़ी चींटी, ने सबको चेतावनी दी, “जल्दी से अनाज सुरक्षित करो! तूफान हमारी बस्ती को बहा सकता है।”
सारी चींटियाँ घबरा गईं। उनके पास ज़्यादा समय नहीं था। अनाज के ढेर को ऊँचे टीले पर ले जाना मुश्किल था। तभी चित्रा ने कहा, “मेरे पास एक जगह है! मेरे साथ आओ!” सब हैरान थीं, लेकिन चित्रा पर भरोसा करके उसके पीछे चल पड़ीं।
चित्रा उन्हें जंगल के एक छिपे हुए कोने में ले गई, जहाँ एक पुराना पेड़ का खोखला तना था। उसने मेहनत से उस खोखले को साफ किया था और वहाँ अनाज जमा किया था। “ये मेरा खजाना है,” चित्रा ने गर्व से कहा। “यहाँ हमारा अनाज तूफान से सुरक्षित रहेगा।”
सब चींटियाँ मिलकर अनाज को उस खोखले में ले गईं। तूफान आया, तेज़ बारिश हुई, और बस्ती का ज़्यादातर हिस्सा बह गया। लेकिन जब तूफान थमा, चींटियाँ चित्रा के खजाने के पास इकट्ठा हुईं। उनके पास अब भी ढेर सारा अनाज था, जिससे वे अपनी बस्ती दोबारा बना सकती थीं।
मुखिया ने चित्रा की तारीफ की, “तुम्हारी मेहनत ने हमें बचाया, चित्रा। तुम्हारा खजाना अनमोल है।” दूसरी चींटियाँ, जो पहले उसका मज़ाक उड़ाती थीं, अब शर्मिंदा थीं। उन्होंने चित्रा से माफी माँगी और उससे सीख लिया कि मेहनत और दूरदर्शिता कितनी ज़रूरी है।
चित्रा ने मुस्कुराते हुए कहा, “खजाना सिर्फ अनाज नहीं, हमारी एकता और मेहनत का विश्वास है।”
नैतिक शिक्षा: मेहनत और तैयारी मुश्किल वक्त में सबसे बड़ा खजाना बन सकती है।