दूज का चाँद

एक बार बादशाह अकबर अपने दरबार में बैठे थे। उनके मन में एक अजीब सवाल उठा। उन्होंने बीरबल को बुलाया और पूछा, “बीरबल, तुम तो बड़े चतुर हो। बताओ, दूज का चाँद इतना पतला और मुश्किल से दिखाई क्यों देता है? क्या वह शरमा रहा होता है?”
दरबार में सभी हँस पड़े। बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा, “हुजूर, मैं इसका जवाब देने से पहले एक छोटी कहानी सुनाना चाहूँगा।”
अकबर ने उत्साह से कहा, “बोलो, बीरबल।”
बीरबल ने शुरू किया, “हुजूर, बहुत समय पहले चाँद और सूरज अच्छे दोस्त थे। दोनों आसमान में एक साथ चमकना चाहते थे, लेकिन सूरज की तेज रोशनी में चाँद की चमक फीकी पड़ जाती थी। एक दिन चाँद ने सूरज से कहा, ‘दोस्त, तुम्हारी रोशनी इतनी तेज है कि मैं दिखाई ही नहीं देता। मुझे भी अपनी चमक दिखाने का मौका दो।’
सूरज ने हँसते हुए कहा, ‘ठीक है, मैं दिन में चमकूँगा और तुम रात में। लेकिन तुम्हें हर रात अपनी चमक बढ़ानी होगी, ताकि लोग तुम्हें देखें।’
चाँद ने यह शर्त मान ली। अमावस के बाद पहली रात को वह बहुत पतला और कमजोर था, क्योंकि उसे अपनी चमक जुटाने में वक्त लगता था। दूज के दिन वह थोड़ा और चमका, लेकिन अभी भी शरमाता-सा था, क्योंकि उसे डर था कि लोग उसकी तुलना सूरज से करेंगे। धीरे-धीरे, पूर्णिमा तक वह पूरी तरह चमक उठता था, जब उसे अपनी खूबसूरती पर पूरा भरोसा हो जाता था।”
बीरबल ने रुककर अकबर की ओर देखा और कहा, “हुजूर, दूज का चाँद पतला और मुश्किल से दिखता है, क्योंकि वह अभी अपनी पूरी चमक पाने की शुरुआत में होता है। वह शरमाता नहीं, बल्कि धीरे-धीरे अपनी ताकत जुटाता है। ठीक वैसे ही, जैसे कोई इंसान नई शुरुआत में डरता है, लेकिन मेहनत से चमक उठता है।”
अकबर बीरबल की बात सुनकर बहुत खुश हुए। उन्होंने ताली बजाकर कहा, “वाह, बीरबल! तुमने न सिर्फ सवाल का जवाब दिया, बल्कि एक सुंदर सबक भी दे दिया।”
दरबार में सभी ने बीरबल की तारीफ की, और उस दिन फिर एक बार बीरबल की चतुराई ने सबका दिल जीत लिया।
नैतिक: हर शुरुआत छोटी हो सकती है, लेकिन धैर्य और मेहनत से बड़ी चमक हासिल की जा सकती है।
Tenali Rama Stories in Hindi





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