अपराधी बकरी (Apradhi Bakri aur Tenal Rama Story in Hindi)

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विजयनगर साम्राज्य में एक बार की बात है, महाराज कृष्णदेव राय के दरबार में हलचल मची हुई थी। एक धनी व्यापारी, हरिशंकर, दरबार में आया और जोर-जोर से शिकायत करने लगा। “महाराज! मेरी बेशकीमती फसल बर्बाद हो गई! और इसका जिम्मेदार कोई और नहीं, बल्कि पड़ोस के मुरली की बकरी है!”

महाराज ने भौंहें चढ़ाईं और पूछा, “बकरी? एक बकरी ने तुम्हारी फसल बर्बाद की? पूरी बात समझाओ।”

हरिशंकर ने बताया कि उसने अपने खेत में विदेशी सब्जियाँ उगाई थीं, जो बहुत कीमती थीं। लेकिन मुरली की बकरी रात को खेत में घुस आई और सारी फसल चट कर गई। “महाराज, मुरली को सजा दीजिए, उसने अपनी बकरी को बांधकर नहीं रखा!”

मुरली, जो एक गरीब किसान था, डरते-कांपते दरबार में आया। उसने कहा, “महाराज, मेरी बकरी बहुत शांत है। मैंने उसे हमेशा बांधकर रखा, लेकिन रात को रस्सी किसी ने काट दी। मुझे नहीं पता कैसे वह खेत में पहुंची।”

दरबार में सन्नाटा छा गया। राजगुरु ने सुझाव दिया, “मुरली की लापरवाही स्पष्ट है। उसे जुर्माना देना होगा।” लेकिन तेनाली रामा, जो हमेशा की तरह चुपचाप सुन रहा था, मुस्कुराया और बोला, “महाराज, एक मिनट! क्या हम बकरी को ही अपराधी मान रहे हैं? अगर बकरी अपराधी है, तो उसे दरबार में बुलाया जाए।”

महाराज को तेनाली की बात में मजा आया। उन्होंने आदेश दिया, “ठीक है, बकरी को लाओ!”

कुछ ही देर में मुरली अपनी बकरी को लेकर दरबार में हाजिर हुआ। बकरी ने “मैं-मैं” करते हुए इधर-उधर देखा। तेनाली ने गंभीर स्वर में पूछा, “बकरी, बोल, तूने हरिशंकर की फसल क्यों खाई?”

दरबार में हंसी की लहर दौड़ गई। महाराज भी मुस्कुराए। तेनाली ने फिर कहा, “महाराज, यह बकरी तो कुछ बोल नहीं रही। लेकिन मेरे पास एक विचार है। अपराधी को सजा देने से पहले हमें यह पता करना चाहिए कि रस्सी किसने काटी। क्योंकि अगर बकरी बंधी थी, तो वह खुद नहीं भागी।”

महाराज ने तेनाली की बात मान ली। तेनाली ने गाँव में जाकर छानबीन शुरू की। कुछ बच्चों ने बताया कि उन्होंने रात को हरिशंकर के नौकर को मुरली के घर के पास देखा था। तेनाली ने नौकर को बुलवाया और उससे सख्ती से पूछताछ की। आखिरकार, नौकर ने सच उगल दिया।

हरिशंकर ने अपने नौकर को मुरली की बकरी की रस्सी काटने का आदेश दिया था। उसका इरादा था कि बकरी फसल खाए और वह मुरली पर दोष मढ़कर उसकी जमीन हड़प ले। तेनाली ने सारी कहानी महाराज को सुनाई।

महाराज क्रोधित हो उठे। उन्होंने हरिशंकर को सजा दी और उसकी सारी जमीन मुरली को दे दी। बकरी को भी एक टोकरी ताजी सब्जियाँ इनाम में मिलीं। तेनाली ने हंसते हुए कहा, “महाराज, बकरी अपराधी नहीं थी, बल्कि लालच ही असली अपराधी था!”

दरबार में तालियों की गूंज उठी, और तेनाली की चतुराई की एक बार फिर प्रशंसा हुई।

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