भाई की शादी और ससुराल का झमेला (Bhai ki Shadi Kahani)

भाई की शादी और ससुराल का झमेला family funny story

“भाई की शादी और ससुराल का झमेला – एक हास्य कहानी (funny story) जो परिवार की मजेदार मुसीबतों (family funny story) को बयान करती है। रोहन और नेहा की शादी से शुरू हुआ तमाशा, ससुराल के तानों और हँसी-मज़ाक से भरी यह कहानी आपको हँसाएगी।”

भाई की शादी और ससुराल का झमेला (Family Funny Story)

हमारे घर में पिछले कुछ महीनों से एक ही चर्चा थी—भाई की शादी। मम्मी-पापा, दादी, चाचा-चाची, सब अपने-अपने तरीके से तैयारियों में जुटे थे। भाई, यानी रोहन, जो हमेशा अपने लैपटॉप और गेमिंग की दुनिया में खोया रहता था, अब शादी के नाम से ही पसीने छोड़ने लगा था। मैं, उसकी छोटी बहन रिया, इस पूरे ड्रामे की सबसे बड़ी दर्शक थी। लेकिन मुझे क्या पता था कि ये शादी सिर्फ रोहन की नहीं, पूरे परिवार की मुसीबत बनने वाली थी।

शादी तय हुई थी एक लड़की से, जिसका नाम था नेहा। नेहा की फैमिली पास के शहर में रहती थी। पहली मुलाकात में सब कुछ ठीक-ठाक रहा। नेहा की मम्मी ने मम्मी से चाय की तारीफ की, और पापा ने नेहा के पापा से बिजनेस की बातें कीं। रोहन ने बस मुस्कुराकर “हाँ” में सिर हिलाया था, जैसे कोई रोबोट हो। लेकिन असली कहानी तो शादी के बाद शुरू हुई, जब ससुराल का झमेला हमारे दरवाजे पर दस्तक देने लगा।

शादी का दिन आया। रोहन को दूल्हा बनाना किसी जंग से कम नहीं था। उसने शेरवानी के बटन गलत लगाए, घोड़ी पर चढ़ते वक्त लगभग गिर पड़ा, और बारात में डांस करने की बजाय वह कोने में खड़ा अपने दोस्तों से वीडियो गेम की बातें कर रहा था। मम्मी ने उसे घूरा, तो वह फटाफट नाचने लगा—हाथ-पैर ऐसे हिला रहा था जैसे बिजली का झटका लगा हो। बारात नेहा के घर पहुँची, और वहाँ स्वागत में ढोल-नगाड़े के साथ-साथ नेहा की छोटी बहन काव्या ने रोहन को ताना मारा, “भैया, आप तो घोड़ी से ज़्यादा डरे हुए लग रहे हैं!” रोहन का चेहरा लाल हो गया, और मैं हँसते-हँसते लोटपोट हो गई।

श’, शादी अच्छे से संपन्न हुई। नेहा बहुत प्यारी थी—हँसमुख, चुलबुली, और थोड़ी शरारती। लेकिन उसकी ससुराल, यानी हमारा परिवार, और हमारी ससुराल, यानी नेहा का परिवार, एक-दूसरे से बिल्कुल अलग थे। हमारा घर हमेशा हँसी-मज़ाक और छोटे-मोटे झगड़ों से भरा रहता था, जबकि नेहा का परिवार शांत और सख्त नियमों वाला था। शादी के बाद पहली बार जब नेहा हमारे घर आई, तो उसे समझ ही नहीं आया कि यहाँ क्या चल रहा है।

पहला झमेला तब शुरू हुआ जब नेहा की मम्मी, यानी हमारी नई समधन, ने फोन करके मम्मी से कहा, “हमारी नेहा को सुबह जल्दी उठने की आदत है। आप लोग उसे देर तक सोने न दें।” मम्मी ने हँसते हुए कहा, “अरे, हमारे यहाँ तो रोहन सुबह 11 बजे तक बिस्तर से नहीं हिलता। नेहा को हम क्या उठाएँगे?” समधन जी का मुँह बन गया, और उन्होंने फोन रख दिया। मम्मी ने पापा से कहा, “लगता है ये लोग हमें सुधारने की ठान चुके हैं।”

फिर शुरू हुआ असली तमाशा। नेहा की ससुराल, यानी हम लोग, और हमारी ससुराल, यानी नेहा के मम्मी-पापा, एक बार हमारे घर आए। मम्मी ने खास मेहमानों के लिए छोले-भटूरे बनाए। लेकिन नेहा के पापा को मसाला पसंद नहीं आया। उन्होंने कहा, “ये तेल बहुत ज़्यादा है। हम लोग तो हल्का खाना खाते हैं।” मम्मी का चेहरा लाल हो गया, लेकिन उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “अच्छा, अगली बार सलाद बनाएँगे।” तभी रोहन ने मज़ाक में बोल दिया, “पापा जी, आप सलाद खाएँगे तो हमारा कुत्ता भी भूखा रह जाएगा।” नेहा के पापा ने ऐसा मुँह बनाया जैसे कोई खराब चुटकुला सुन लिया हो। मैंने नीचे मेज के नीचे रोहन को लात मारी, लेकिन वो हँसता रहा।

अगला झमेला तब हुआ जब नेहा की छोटी बहन काव्या ने हमारे घर में एक “फैमिली गेम नाइट” का आयोजन करने की ठानी। उसने कहा, “हम लोग हर महीने ऐसा करते हैं। इससे प्यार बढ़ता है।” हमारा परिवार तो ऐसा था कि हर दिन बिना गेम के भी हंगामा चलता था। फिर भी, हम तैयार हो गए। गेम था “चारेड्स”। रोहन को “हाथी” एक्ट करना था। उसने हाथ उठाकर सूँड बनाई और ज़ोर से चिंघाड़ा। नेहा के पापा ने कहा, “ये शेर की आवाज़ है, हाथी की नहीं।” रोहन ने तपाक से कहा, “अरे, हमारे मोहल्ले का हाथी ऐसा ही बोलता है।” पूरा कमरा ठहाकों से गूँज उठा, लेकिन नेहा के पापा का मुँह लटक गया।

धीरे-धीरे नेहा हमारे घर में ढलने लगी। उसे रोहन की हरकतें पसंद आने लगीं। एक दिन उसने मम्मी के साथ मिलकर रसोई में समोसे बनाए और रोहन को चिढ़ाने के लिए उसमें मिर्ची डाल दी। रोहन ने एक काटा और चिल्लाया, “ये समोसा नहीं, बम है!” नेहा हँसते-हँसते लोटपोट हो गई। लेकिन जब नेहा की मम्मी को पता चला, तो उन्होंने फोन करके मम्मी को ताना मारा, “आप लोग हमारी बेटी को बिगाड़ रहे हैं।”

सबसे बड़ा झमेला तब हुआ जब नेहा के मम्मी-पापा ने हमें अपने घर डिनर पर बुलाया। हम लोग तैयार होकर गए। वहाँ टेबल पर सिर्फ सलाद, उबली सब्जियाँ, और एक अजीब सूप था। रोहन ने धीरे से मेरे कान में कहा, “रिया, ये लोग हमें भूखा मारना चाहते हैं।” पापा ने सूप चखा और मुँह बनाकर बोले, “ये तो दवाई जैसा है।” नेहा की मम्मी ने सुन लिया और नाराज़ हो गईं। फिर शुरू हुआ बहस का दौर। नेहा के पापा ने कहा, “आप लोग खाने की कद्र नहीं करते।” मम्मी ने जवाब दिया, “हम तो बस मज़े से जीते हैं।” बात इतनी बढ़ गई कि रोहन को बीच में कूदना पड़ा। उसने कहा, “अरे, सब लोग शांत हो जाइए। मैं और नेहा तो खुश हैं। आप लोग क्यों लड़ रहे हैं?”

आखिरकार, नेहा ने सबको समझाया कि उसे हमारा घर पसंद है, और वह रोहन के साथ हर पल मज़े कर रही है। नेहा की मम्मी-पापा थोड़ा शांत हुए, लेकिन उनकी नाक अभी भी ऊँची थी। घर लौटते वक्त रोहन ने कहा, “रिया, शादी से पहले मुझे गेमिंग की चिंता थी। अब ससुराल को संभालना मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा मिशन है।” मैंने हँसते हुए कहा, “भैया, ये मिशन तो लेवल 100 पर है।”

इस तरह, भाई की शादी ने हमारे घर में हँसी, प्यार, और थोड़ा-सा झमेला ला दिया। ससुराल वाले अब भी हमें “बिगड़े हुए” समझते हैं, लेकिन नेहा और रोहन की जोड़ी हर मुसीबत को मज़े में बदल देती है। और मैं? मैं बस ये तमाशा देखकर मज़े लेती हूँ। आखिर, परिवार में ड्रामा न हो, तो मज़ा क्या है?

 

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