दादी का दांत और नकली नाटक (Daadi ki Kahani)

“पढ़ें एक मज़ेदार हिंदी कहानी ‘दादी का दांत और नकली नाटक’ – जहाँ दादी का नकली दांत गायब होने से घर में हंगामा मच जाता है। हँसी-मज़ाक से भरी ये family funny story आपको गुदगुदाएगी!”
दादी का दांत और नकली नाटक (Family Funny Story in Hindi)
एक बार की बात है, हमारे घर में दादी सबसे मज़ेदार इंसान थीं। उनकी उम्र भले ही सत्तर पार कर गई थी, लेकिन उनके शरारती दिमाग ने कभी हार नहीं मानी। एक दिन सुबह-सुबह दादी की चाय की चुस्की के साथ ही घर में हंगामा शुरू हो गया। दादी चिल्लाईं, “अरे, मेरा दांत गायब हो गया!”
मम्मी रसोई से भागी आईं, पापा अखबार छोड़कर दौड़े, और मैं और मेरा छोटा भाई टिंकू तो सीधे दादी के पास जा पहुँचे। दादी अपनी कुर्सी पर बैठी थीं, मुँह पर हाथ रखे हुए, और आँखों में नाटकीय अंदाज़ में आँसू लिए हुए। “मेरा दांत… मेरी जवानी का आखिरी निशान… चला गया!” उन्होंने रोते हुए कहा।
पापा ने तुरंत जासूस बनने का फैसला किया। “दादी, आपने आखिरी बार दांत कब देखा?” दादी ने सोचते हुए कहा, “शायद रात को, जब मैंने खिचड़ी खाई थी।” मम्मी ने आँखें तरेरीं, “दादी, आपका वो नकली दांत तो पिछले हफ्ते ही टूट गया था। आप फिर ड्रामा क्यों कर रही हैं?” लेकिन दादी ने मुँह फुलाया और बोलीं, “नहीं, मेरा नया दांत था, चमचमाता हुआ!”
अब घर में तलाशी शुरू हो गई। टिंकू तो बिस्तर के नीचे घुस गया, मैंने तकिए के कवर खंगाले, और पापा ने दादी की अलमारी तक छान मारी। तभी टिंकू चिल्लाया, “मम्मी, ये रहा दांत!” सब दौड़े। टिंकू के हाथ में एक छोटा सा सफेद टुकड़ा था। दादी ने चश्मा लगाकर देखा और बोलीं, “अरे, ये तो मेरा दांत नहीं, ये तो मूंगफली का टुकड़ा है!”
सब हँस पड़े। मम्मी ने गुस्से में कहा, “दादी, अब बस करो। आपका नकली दांत तो डिब्बे में रखा है।” दादी ने शरारती मुस्कान के साथ कहा, “अरे, मुझे पता था। बस तुम सबको सुबह-सुबह थोड़ा दौड़ाना चाहती थी। वरना तुम लोग तो बस मोबाइल में घुसे रहते हो!”
पापा ने सिर पकड़ लिया, मम्मी ने चप्पल उठाई, और हम बच्चे हँसते-हँसते लोटपोट हो गए। दादी ने चाय की चुस्की ली और बोलीं, “दांत नकली हो या असली, मज़ा तो असली होना चाहिए न!” उस दिन के बाद, हर सुबह हम दादी के नए नाटक का इंतज़ार करने लगे।