चूहे की चालाक चोरी (Rat Story in Hindi)

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“चिंटू चूहे की मज़ेदार और चालाक चोरी की कहानी! मिठाई की दुकान में हंगामा, लोमड़ी का फेल प्लान और दोस्ती का सबक। हास्य और नैतिकता से भरी रोचक कहानी (rochak kahani)।”

चूहे की चालाक चोरी (Chuhe ki Chalaak Chori Animal Story)

एक बार की बात है, जंगल के पास एक छोटा-सा गाँव था। उस गाँव में एक मिठाई की दुकान थी, जिसका मालिक था गोपाल। गोपाल की मिठाइयाँ पूरे गाँव में मशहूर थीं। लड्डू, जलेबी, रसगुल्ले—हर चीज़ इतनी स्वादिष्ट होती थी कि लोग दूर-दूर से आते थे। लेकिन गोपाल को एक बड़ी परेशानी थी। उसकी दुकान में एक चूहा रहता था, जिसका नाम था चिंटू। चिंटू कोई साधारण चूहा नहीं था। वह चालाक, तेज़, और सबसे बड़ी बात, मिठाई का दीवाना था। हर रात, जब गोपाल दुकान बंद करके घर जाता, चिंटू अपनी चोरी की योजना शुरू कर देता।

गोपाल ने कई बार चिंटू को पकड़ने की कोशिश की। उसने चूहेदानी लगाई, बिल्ली को बुलाया, यहाँ तक कि दुकान के कोनों में जाल भी बिछाए, लेकिन चिंटू हर बार बच निकलता। एक रात, गोपाल ने सोचा, “आज मैं इसे सबक सिखाऊँगा।” उसने एक बड़ा सारा लड्डू बनाया और उसे चूहेदानी के पास रख दिया। लड्डू की खुशबू इतनी तेज़ थी कि चिंटू दूर अपने बिल में बैठा भी बेचैन हो गया। उसकी नाक फड़फड़ाई, और वह फटाफट दुकान की ओर भागा।

चिंटू ने चूहेदानी को देखा और समझ गया कि यह जाल है। लेकिन लड्डू की लालच ने उसे सोचने पर मजबूर कर दिया। उसने एक पत्थर उठाया और उसे चूहेदानी के ऊपर से फेंका। चटाक! चूहेदानी बंद हो गई, और लड्डू बाहर ही रह गया। चिंटू ने झट से लड्डू उठाया और अपने बिल में ले गया। सुबह जब गोपाल आया, तो उसे सिर्फ़ खाली चूहेदानी मिली और लड्डू गायब था। वह गुस्से से लाल हो गया और चिल्लाया, “इस चूहे ने तो मेरी नाक में दम कर रखा है!”

अगले दिन, गोपाल ने एक नया तरीका अपनाया। उसने दुकान में एक छोटा-सा रेडियो रखा और उसे तेज़ आवाज़ में बजाया। उसे लगा कि शोर से चिंटू डर जाएगा। लेकिन चिंटू को तो मज़ा आ गया। वह रेडियो की धुन पर नाचने लगा और फिर मौका देखकर जलेबी का डिब्बा उठाकर भाग गया। गोपाल को समझ नहीं आया कि उसका प्लान उल्टा कैसे पड़ गया।

चिंटू की चालाकी की खबर अब जंगल तक पहुँच गई थी। जंगल के जानवरों ने एक सभा बुलाई। शेर, जो जंगल का राजा था, ने कहा, “यह चूहा हमारी बदनामी करा रहा है। अगर एक छोटा-सा चूहा इंसानों को मूर्ख बना सकता है, तो हमारी क्या इज्ज़त रह जाएगी?” लोमड़ी, जो हमेशा चालाकी में आगे रहती थी, बोली, “मैं इसे पकड़ूँगी। मेरे पास एक शानदार योजना है।”

लोमड़ी ने गोपाल से कहा, “आप एक बड़ा सारा रसगुल्ला बनाइए और उसे दुकान के बीच में रख दीजिए। मैं चूहे को पकड़ लूँगी।” गोपाल ने वैसा ही किया। रात हुई, और चिंटू फिर निकला। उसने रसगुल्ला देखा और उसकी आँखें चमक उठीं। लेकिन उसे लोमड़ी की गंध भी सूंघ ली। चिंटू ने सोचा, “यह लोमड़ी मुझे बेवकूफ़ समझती है, लेकिन मैं इससे भी चालाक हूँ।”

चिंटू ने पास के एक पुराने डिब्बे से ढक्कन उठाया और उसे रसगुल्ले की तरफ़ सरकाया। लोमड़ी ने सोचा कि चूहा पास आ रहा है, और वह झपट्टा मारने को तैयार हुई। लेकिन जैसे ही लोमड़ी ने उछाल मारी, चिंटू ने ढक्कन को हिलाया, और लोमड़ी सीधे एक खाली बाल्टी में जा गिरी। चिंटू हँसते-हँसते रसगुल्ला उठाकर भाग गया। लोमड़ी बाल्टी में फँसी तड़पती रही, और सुबह गोपाल ने उसे देखकर हँसते हुए कहा, “लगता है चूहा तुमसे भी चालाक निकला!”

अब चिंटू की हिम्मत और बढ़ गई। उसने सोचा, “क्यों न मैं कुछ बड़ा करूँ?” उसने जंगल के दूसरे चूहों को बुलाया और एक टीम बनाई। उसकी टीम में था मोटू, जो खाने का शौकीन था, और पतलू, जो बहुत तेज़ दौड़ता था। चिंटू ने कहा, “हम गोपाल की पूरी मिठाई की दुकान लूटेंगे!” योजना बनाई गई—मोटू गोपाल का ध्यान भटकाएगा, पतलू दरवाज़ा खोलेगा, और चिंटू मिठाई ले जाएगा।

रात को योजना शुरू हुई। मोटू दुकान के बाहर जोर-जोर से चिल्लाने लगा। गोपाल बाहर आया और उसे भगाने लगा। उधर, पतलू ने दरवाज़े की कुंडी खोली, और चिंटू अंदर घुस गया। उसने लड्डू, जलेबी, और रसगुल्लों से भरा एक बड़ा थैला उठाया। लेकिन तभी गोपाल अंदर आ गया। चिंटू ने जल्दी से थैला पतलू को फेंका और खुद एक डिब्बे में छिप गया। गोपाल ने चिल्लाते हुए कहा, “आज तू नहीं बचेगा!” लेकिन चिंटू फिर बच निकला।

हालांकि, इस बार चिंटू को एक सबक मिला। जब वह अपने बिल में पहुँचा, तो उसने देखा कि मोटू और पतलू सारी मिठाइयाँ खा चुके थे। चिंटू गुस्से से बोला, “मैंने सारी मेहनत की, और तुमने सब खा लिया?” मोटू हँसते हुए बोला, “चालाकी अच्छी बात है, लेकिन दोस्तों पर भरोसा भी ज़रूरी है।” चिंटू को अपनी गलती समझ आई। उसने सोचा कि चोरी से ज़्यादा मज़ा दोस्तों के साथ बाँटने में है।

अगले दिन, चिंटू ने गोपाल की दुकान में एक छोटा-सा पत्र छोड़ा, जिसमें लिखा था, “माफ़ कर दो, अब मैं चोरी नहीं करूँगा।” गोपाल हँस पड़ा और उसने चिंटू के लिए एक छोटा-सा लड्डू बाहर रख दिया। चिंटू ने उसे खाया और खुशी-खुशी अपने दोस्तों के साथ बाँटा।

Moral Story: चालाकी से कुछ पाया जा सकता है, लेकिन सच्ची खुशी दोस्ती और ईमानदारी में है।

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