गायब हीरे की तलाश (Gayab Heere Ki Talaash Detective Story)

“पढ़ें ‘गायब हीरे की तलाश’ – एक रोमांचक detective story in Hindi। जासूस अर्जुन मेहरा की सूझबूझ से सुलझाएं इस jasoosi kahani का रहस्य, जहाँ चोरी हुआ बेशकीमती हीरा और छुपे हुए सुराग आपको अंत तक बांधे रखेंगे।”
शहर के मशहूर जासूस अर्जुन मेहरा की जिंदगी में हर दिन एक नया रहस्य लेकर आता था। उसकी तेज़ नज़र और सूझबूझ की वजह से लोग उसे “शहर का बाज़” कहते थे। एक ठंडी सर्दियों की सुबह, जब कोहरा शहर को अपनी चादर में लपेटे हुए था, अर्जुन के ऑफिस का फोन बजा। दूसरी तरफ से एक घबराई हुई आवाज़ आई, “जासूस साहब, मेरी मदद करें। मेरा बेशकीमती हीरा गायब हो गया है।”
आवाज़ शहर के नामी जौहरी रमेश सेठ की थी। अर्जुन ने तुरंत अपना कोट उठाया और सेठ के आलीशान बंगले की ओर चल पड़ा। रास्ते में वह सोच रहा था कि यह मामला इतना आसान नहीं होगा। रमेश सेठ का “नीला सितारा” नाम का हीरा पूरे देश में मशहूर था। उसकी कीमत करोड़ों में थी, और उसकी चमक ऐसी थी कि लोग उसे देखते ही मंत्रमुग्ध हो जाते थे।
बंगले पर पहुँचते ही रमेश सेठ ने अर्जुन का स्वागत किया। उनकी आँखों में डर और बेचैनी साफ झलक रही थी। “जासूस साहब, कल रात मैंने एक छोटी पार्टी रखी थी। मेरे कुछ खास मेहमान आए थे। हीरा मेरे तिजोरी में सुरक्षित था, लेकिन सुबह जब मैंने देखा, तो वह गायब था। तिजोरी का ताला भी नहीं टूटा। यह कैसे हो सकता है?” सेठ ने परेशान होते हुए कहा।
अर्जुन ने शांत स्वर में कहा, “सेठ जी, मुझे सारी बातें विस्तार से बताइए। पार्टी में कौन-कौन था, और क्या कोई संदिग्ध हरकत हुई?” सेठ ने बताया कि पार्टी में पाँच लोग थे—उनकी पत्नी शालिनी, उनका बिजनेस पार्टनर विक्रम मल्होत्रा, एक पुराना दोस्त नरेंद्र चौहान, उनकी बहन की बेटी रिया, और एक नया कर्मचारी अजय। सभी करीबी थे, लेकिन सेठ को किसी पर शक नहीं था।
अर्जुन ने सबसे पहले तिजोरी का मुआयना किया। यह एक आधुनिक डिजिटल लॉक वाली तिजोरी थी, जिसे बिना पासकोड के खोलना नामुमकिन था। पासकोड सिर्फ सेठ और उनकी पत्नी को पता था। तिजोरी के आसपास कोई निशान नहीं था—न खरोंच, न उंगलियों के निशान। अर्जुन की नज़र कमरे के कोने में लगे एक छोटे से कैमरे पर पड़ी। “यह क्या है?” उसने पूछा।
“यह सिक्योरिटी कैमरा है, लेकिन पिछले हफ्ते से खराब है। मैं इसे ठीक करवाने वाला था,” सेठ ने उदास स्वर में कहा। अर्जुन ने सोचा कि यह चोर के लिए सुनहरा मौका था। उसने सेठ से सभी मेहमानों को दोबारा बुलाने को कहा ताकि उनसे पूछताछ की जा सके।
शाम तक सभी बंगले में इकट्ठा हो गए। अर्जुन ने एक-एक करके सबसे बात शुरू की। सबसे पहले उसने शालिनी से बात की। वह एक शांत और सौम्य महिला थी। उसने बताया कि वह रात को जल्दी सो गई थी और उसे कुछ नहीं पता। फिर अर्जुन ने विक्रम से पूछताछ की। विक्रम एक तेज़-तर्रार बिजनेसमैन था। उसने कहा, “मैं पार्टी के बाद सीधे घर चला गया। मुझे हीरे से क्या लेना-देना?” उसकी आवाज़ में थोड़ा गुस्सा था।
नरेंद्र चौहान की बारी आई। वह सेठ का पुराना दोस्त था और उसकी बातों में मज़ाकिया अंदाज़ था। “अर्जुन भाई, मैं तो रातभर वाइन पीता रहा। मुझे क्या पता हीरा कहाँ गया!” उसने हँसते हुए कहा। रिया एक जवान और चुलबुली लड़की थी। उसने बताया कि वह अपने फोन पर दोस्तों से चैट कर रही थी और उसे कुछ संदिग्ध नहीं लगा। आखिर में अजय से बात हुई। वह सेठ का नया कर्मचारी था और थोड़ा घबराया हुआ लग रहा था। “साहब, मैं तो बस मेहमानों को खाना परोस रहा था। मुझे कुछ नहीं पता,” उसने काँपती आवाज़ में कहा।
अर्जुन ने सभी की बातें ध्यान से सुनीं और फिर कमरे का दोबारा मुआयना शुरू किया। उसे तिजोरी के पास फर्श पर एक छोटा सा नीला धागा मिला। उसने उसे उठाया और सोचा कि यह किसी के कपड़े से निकला हो सकता है। उसने सेठ से पूछा, “पार्टी में नीले कपड़े पहने कोई था?” सेठ ने याद करते हुए कहा, “हाँ, रिया ने नीली ड्रेस पहनी थी।”
अर्जुन ने रिया को बुलाया और पूछा, “आप तिजोरी के पास कब गई थीं?” रिया ने घबराते हुए कहा, “मैं… मैं तो बस वॉशरूम ढूंढ रही थी। गलती से उस कमरे में चली गई।” अर्जुन को उसकी बात पर शक हुआ। उसने रिया के फोन की जाँच करने की इजाज़त माँगी। फोन में कुछ तस्वीरें थीं, जिनमें रिया तिजोरी के पास खड़ी थी। एक तस्वीर में उसने तिजोरी का पासकोड डालते हुए सेल्फी ली थी।
“यह क्या है, रिया?” अर्जुन ने सख्त स्वर में पूछा। रिया टूट गई और रोते हुए बोली, “मुझे माफ कर दें। मैंने ऐसा अपने बॉयफ्रेंड के कहने पर किया। उसने कहा कि हीरा बेचकर हम अमीर हो जाएँगे।” उसने बताया कि उसका बॉयफ्रेंड रात को खिड़की से अंदर आया था और हीरा लेकर भाग गया।
अर्जुन ने तुरंत पुलिस को सूचना दी और रिया के बॉयफ्रेंड का पता लगाया। उसका नाम रोहन था, और वह शहर के बाहर एक छोटे से होटल में छुपा था। पुलिस ने उसे पकड़ लिया, और हीरा बरामद हो गया। रमेश सेठ ने राहत की साँस ली और अर्जुन का शुक्रिया अदा किया।
लेकिन अर्जुन का दिमाग अभी भी सोच रहा था। उसने सोचा कि रिया जैसी मासूम लड़की इतना बड़ा जोखिम क्यों उठाएगी? उसने रोहन से पूछताछ की। रोहन ने कबूल किया कि असली मास्टरमाइंड विक्रम मल्होत्रा था। विक्रम को सेठ के बिजनेस में हिस्सा चाहिए था, और उसने हीरे की चोरी का प्लान बनाया था ताकि सेठ को ब्लैकमेल कर सके। रिया और रोहन को उसने पैसे का लालच दिया था।
अर्जुन ने सारी कहानी सेठ को बताई। विक्रम को पुलिस के हवाले कर दिया गया। “नीला सितारा” वापस अपनी जगह पर था, और शहर में एक बार फिर अर्जुन की तारीफ होने लगी। उसने अपना कोट ठीक किया और अगले रहस्य की तलाश में निकल पड़ा। क्योंकि उसके लिए, हर नया दिन एक नई चुनौती था।