मोर का घमंड (Mor Ka Ghamand animal hindi story)

जंगल के बीच बस्ती थी एक हरी-भरी घाटी, जहाँ रंग-बिरंगे पक्षी और जानवर आपस में हंसी-मजाक करते थे। उस घाटी में रहता था मोरनाथ, एक ऐसा मोर जिसके पंखों की चमक सूरज को भी मात देती थी। जब वह अपने पंख फैलाकर नाचता, तो सारा जंगल ठहर सा जाता। पर मोरनाथ का दिल उतना सुंदर नहीं था जितने उसके पंख। वह हर किसी को नीचा दिखाने में माहिर था।
“देखो, मेरे पंखों की शान!” वह गौरैया से कहता, “तुम्हारे भूरे पंख तो मेरे पंखों की धूल भी नहीं!” गौरैया चुपके से मुस्कुराती और उड़ जाती, पर मोरनाथ का घमंड दिन-ब-दिन बढ़ता गया।
एक दिन जंगल में खबर फैली कि नदी के पार एक रहस्यमयी पेड़ उगा है, जिसके फल खाने से कोई भी पक्षी अपने पंखों को और खूबसूरत बना सकता है। मोरनाथ ने सोचा, “अगर मेरे पंख और सुंदर हो गए, तो सारा जंगल मेरे सामने झुकेगा!” वह तुरंत नदी की ओर चल पड़ा।
रास्ते में उसे मिला कबूतर, जो धीरे-धीरे उड़ रहा था। “कहाँ जा रहे हो, मोरनाथ?” कबूतर ने पूछा।
“उस जादुई पेड़ के पास,” मोरनाथ ने अकड़कर कहा। “मेरे पंखों को और चमक चाहिए। तुम जैसे सादे पक्षी क्या समझोगे?”
कबूतर ने हल्के से सिर हिलाया और कहा, “नदी का पानी आज उफान पर है, सावधान रहना।”
“हाह! मुझे कोई नहीं रोक सकता!” मोरनाथ ने हंसी उड़ाई और आगे बढ़ गया।
नदी के किनारे पहुँचकर मोरनाथ ने देखा कि पानी तेजी से बह रहा था। पुल टूट चुका था, और दूसरी ओर जाने का कोई रास्ता नहीं था। तभी उसकी नजर पड़ी एक पुरानी लकड़ी की नाव पर, जो किनारे पर पड़ी थी। वह नाव में सवार हो गया, पर उसे नहीं पता था कि नाव में एक छोटा-सा छेद था।
नाव जैसे ही नदी के बीच में पहुँची, पानी अंदर घुसने लगा। मोरनाथ घबरा गया। “अरे, ये तो डूब रही है!” वह चिल्लाया। उसके भारी पंख भीग गए, और वह उड़ भी नहीं पाया। तभी पास से उड़ती हुई गौरैया ने उसे देख लिया।
“मोरनाथ, रुको!” गौरैया ने कहा और तेजी से जंगल की ओर उड़ी। कुछ ही पलों में वह वापस आई, साथ में थी चींटियों की एक पूरी सेना। चींटियों ने मिलकर पास के पत्तों और टहनियों से एक छोटा-सा राफ्ट बनाया। गौरैया ने उसे नदी में डाला, और कबूतर ने उसे मोरनाथ तक पहुँचाया।
“जल्दी, इस पर चढ़ो!” कबूतर ने कहा। मोरनाथ किसी तरह राफ्ट पर चढ़ गया, और चींटियों ने उसे किनारे तक खींच लिया। जब वह सुरक्षित किनारे पर पहुँचा, तो उसका घमंड पानी की तरह बह चुका था।
“तुम सबने मेरी जान क्यों बचाई?” मोरनाथ ने शर्मिंदगी से पूछा। “मैंने तो तुम्हारा मजाक उड़ाया था।”
गौरैया ने मुस्कुराकर कहा, “पंखों की खूबसूरती बाहर से दिखती है, मोरनाथ, पर दिल की खूबसूरती तब दिखती है जब हम एक-दूसरे की मदद करते हैं।”
चींटी ने हंसते हुए कहा, “और वैसे भी, तुम्हारे पंख अब भी चमक रहे हैं, बस अब उन्हें थोड़ा सुखा लो!”
मोरनाथ की आँखों में आंसू आ गए। उसने पहली बार महसूस किया कि असली सुंदरता घमंड में नहीं, बल्कि दोस्ती और मदद में है। उस दिन से मोरनाथ ने अपने पंखों का नाच सिर्फ खुशी बांटने के लिए किया। वह जंगल का सबसे प्यारा मोर बन गया, जिसके पंखों की कहानी अब हर कोई सुनाता था।
नैतिक शिक्षा: सच्ची सुंदरता घमंड में नहीं, बल्कि दूसरों के प्रति दयालुता और सहयोग में होती है।