बीरबल की हाजिरजवाबी (Akbar Birbal Ki Kahani)

akbar birbal rochak kahani

एक दिन बादशाह अकबर अपने दरबार में बैठे थे। उनका मूड कुछ शरारती था। उन्होंने सोचा कि क्यों न बीरबल की बुद्धिमानी की परीक्षा ली जाए। दरबार में सभी लोग मौजूद थे, और अकबर ने बीरबल को बुलवाया।

अकबर ने गंभीर लहजे में कहा, “बीरबल, मैं तुमसे एक सवाल पूछता हूँ। अगर तुम इसका जवाब न दे सके, तो तुम्हें दरबार से बाहर जाना होगा।”

बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा, “हुक्म कीजिए, जहाँपनाह।”

अकबर ने सवाल दागा, “बताओ, इस दुनिया में सबसे तेज़ चीज़ क्या है?”

दरबार में सन्नाटा छा गया। सभी सोच में पड़ गए। किसी ने कहा, “शायद हवा,” तो किसी ने कहा, “शायद बिजली।” लेकिन अकबर ने सबको चुप कराकर बीरबल की ओर देखा।

बीरबल ने एक पल सोचा और फिर शांत स्वर में बोले, “जहाँपनाह, दुनिया में सबसे तेज़ चीज़ है मन।”

अकबर चौंके, “मन? ये कैसे?”

बीरबल ने जवाब दिया, “हुजूर, मन एक पल में कश्मीर से कन्याकुमारी तक की सैर कर सकता है। एक क्षण में इंसान सुख से दुख और दुख से सुख की ओर जा सकता है। न हवा, न बिजली, न कोई और चीज़ इसकी बराबरी कर सकती।”

अकबर हँस पड़े। “वाह, बीरबल! तुमने फिर साबित कर दिया कि तुम्हारी हाजिरजवाबी का कोई जवाब नहीं।”

दरबार में तालियाँ गूँज उठीं। बीरबल ने अपनी बुद्धि और चतुराई से एक बार फिर सभी का दिल जीत लिया।

नैतिक: बुद्धिमानी और हाजिरजवाबी से हर मुश्किल सवाल का जवाब दिया जा सकता है।

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