आदमी एक खूबियाँ तीन

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अकबर के दरबार में हमेशा की तरह रौनक थी। बादशाह अकबर अपने नवरत्नों के साथ गंभीर चर्चा में थे, लेकिन उनका मन आज कुछ हल्का-फुल्का था। उन्होंने दरबारियों की ओर देखा और एक सवाल उछाला, “बताओ, कोई ऐसा इंसान है जो एक साथ तीन खूबियाँ रखता हो—सच्चाई, मेहनत, और बुद्धिमानी? ऐसा आदमी मुझे दिखाओ!”

दरबार में सन्नाटा छा गया। कोई साहस नहीं जुटा पा रहा था। तभी बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा, “हुजूर, ऐसा आदमी ढूंढना मुश्किल नहीं। मुझे तीन दिन दीजिए, मैं आपको ऐसा शख्स लाकर दिखाऊंगा।”

अकबर को बीरबल की बातों पर भरोसा था, पर वे मजाक के मूड में भी थे। उन्होंने कहा, “ठीक है, बीरबल। तीन दिन में अगर तुम ऐसा आदमी न लाए, तो तुम्हें सजा मिलेगी।” बीरबल ने सिर झुकाया और चुपचाप दरबार से निकल गए।

पहला दिन: सच्चाई की खोज

बीरबल शहर की गलियों में निकले। उन्होंने सोचा, पहले सच्चाई की तलाश करनी चाहिए। बाजार में एक फलवाला मिला, जिसका नाम था रामू। रामू अपनी दुकान पर बैठा ग्राहकों से ईमानदारी से बात कर रहा था। एक ग्राहक ने पूछा, “ये सेब कितने के हैं?” रामू ने जवाब दिया, “पांच रुपये किलो, साहब। और मैं झूठ नहीं बोलूंगा, कुछ सेबों में कीड़ा हो सकता है, लेकिन मैंने अच्छे वाले ऊपर रखे हैं।”

बीरबल ने रामू की बात सुनी और उससे पूछा, “रामू, तुम हमेशा सच बोलते हो?” रामू ने हंसकर कहा, “जी, झूठ बोलने से मेरी आत्मा को ठेस पहुंचती है। मैं गरीब हूं, पर सच्चाई मेरी पूंजी है।” बीरबल ने सोचा, “यह आदमी सच्चा तो है, लेकिन मेहनती और बुद्धिमान भी है या नहीं, यह देखना होगा।”

दूसरा दिन: मेहनत का सबूत

अगले दिन बीरबल एक खेत के पास पहुंचे। वहां एक किसान, जिसका नाम श्याम था, सुबह से शाम तक खेत में मेहनत कर रहा था। सूरज की तपिश में भी वह हल चलाए जा रहा था। बीरबल ने उससे बात की, “श्याम, तुम इतनी मेहनत क्यों करते हो?”

श्याम ने पसीना पोंछते हुए कहा, “हुजूर, मेहनत ही मेरी जिंदगी है। अगर मैं खेत न जोतूं, तो मेरे बच्चों का पेट कैसे भरेगा? मैं दिन-रात काम करता हूं ताकि फसल अच्छी हो।” बीरबल ने देखा कि श्याम की मेहनत में कोई कमी नहीं। पर क्या वह सच्चा और बुद्धिमान भी है? बीरबल ने उसे परखने का फैसला किया।

तीसरा दिन: बुद्धिमानी का इम्तिहान

तीसरे दिन बीरबल एक स्कूल के पास पहुंचे। वहां एक शिक्षक, जिसका नाम था गोपाल, बच्चों को बड़े प्यार से पढ़ा रहा था। गोपाल बच्चों के सवालों के जवाब इतनी चतुराई से देता था कि बीरबल प्रभावित हो गए। एक बच्चे ने पूछा, “गुरुजी, चाँद इतना दूर क्यों है?” गोपाल ने हंसकर कहा, “अगर चाँद पास होता, तो हम सब रात को उसकी सैर करने चले जाते, और फिर पढ़ाई कौन करता?”

बीरबल ने गोपाल से बात की और उसकी बुद्धिमानी की तारीफ की। पर बीरबल को अब एक समस्या थी—रामू सच्चा था, श्याम मेहनती था, और गोपाल बुद्धिमान। लेकिन बादशाह ने तो एक ही आदमी में तीनों खूबियाँ मांगी थीं।

दरबार में वापसी

तीसरे दिन बीरबल दरबार में पहुंचे। अकबर ने उत्साह से पूछा, “कहो, बीरबल, क्या लाए हो? वह आदमी कहां है?” बीरबल ने शांति से कहा, “हुजूर, मैं तीन लोगों से मिला। एक था रामू, जो सच्चाई की मिसाल है। दूसरा था श्याम, जिसकी मेहनत देखकर सूरज भी शरमाए। और तीसरा था गोपाल, जिसकी बुद्धिमानी लाजवाब है। लेकिन मुझे एक ही आदमी में ये तीनों खूबियाँ नहीं मिलीं।”

अकबर ने भौंहें चढ़ाईं, “तो क्या तुम हार गए, बीरबल?” बीरबल ने मुस्कुराकर कहा, “नहीं, हुजूर। मैंने सोचा, ऐसा आदमी तो बस आप ही हो सकते हैं। आप सच्चे हैं, क्योंकि आपका न्याय हमेशा सच पर टिका होता है। आप मेहनती हैं, क्योंकि आप दिन-रात इस मुल्क की भलाई के लिए काम करते हैं। और आप बुद्धिमान हैं, क्योंकि आपने मुझे ये सवाल देकर मेरी परीक्षा ली!”

दरबार में ठहाके गूंज उठे। अकबर भी हंस पड़े और बोले, “बीरबल, तुम सचमुच चतुर हो! तुमने न सिर्फ सवाल का जवाब दिया, बल्कि मेरी तारीफ भी कर दी।”

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि हर इंसान में कोई न कोई खूबी जरूर होती है। हमें दूसरों की खूबियों को पहचानना चाहिए और अपनी खूबियों को निखारना चाहिए। साथ ही, बीरबल की तरह हाजिरजवाबी और चतुराई से किसी भी मुश्किल सवाल का जवाब दिया जा सकता है।

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