आखिरी वादा (Akhiri Vada Emotional Hindi Kahani)

akhiri vada emotional hindi kahani

सर्दियों की एक ठंडी सुबह थी। कोहरा इतना घना था कि सामने का रास्ता भी धुंधला दिख रहा था। गाँव के किनारे बने छोटे से मकान में राधा अपनी पुरानी लकड़ी की कुर्सी पर बैठी थी। उसकी आँखों में एक अनकही उदासी थी, और हाथों में एक फीका पड़ चुका पत्र था। वह पत्र जो उसने पिछले बीस सालों में सैकड़ों बार पढ़ा था। हर बार पढ़ते वक्त उसकी आँखें नम हो जाती थीं, और हर बार वह खुद से वही सवाल पूछती थी—क्या वह वादा कभी पूरा होगा?

राधा की जिंदगी कभी आसान नहीं रही। बचपन में ही उसने अपने माता-पिता को खो दिया था। उसका बड़ा भाई, रमेश, उसका इकलौता सहारा था। रमेश ने अपनी बहन को माँ-बाप का प्यार देने की हर मुमकिन कोशिश की थी। दिन-रात मेहनत करके उसने राधा को पढ़ाया, उसकी छोटी-छोटी खुशियाँ पूरी कीं। लेकिन जब राधा बारहवीं कक्षा में थी, रमेश को शहर में एक नौकरी मिली। उसे जाना पड़ा। जाते वक्त उसने राधा के सिर पर हाथ रखकर वादा किया था, “राधा, मैं जल्दी वापस आऊँगा। तुझे कभी अकेला नहीं छोड़ूँगा। तेरा हर सपना पूरा करूँगा।”

उस वादे को बीते हुए बीस साल हो चुके थे। रमेश ने पहले कुछ साल तक पत्र लिखे। हर पत्र में वह बताता कि वह कड़ी मेहनत कर रहा है, पैसा जोड़ रहा है, ताकि राधा की पढ़ाई और शादी अच्छे से हो सके। लेकिन धीरे-धीरे पत्रों की संख्या कम होने लगी। आखिरी पत्र, जो राधा के हाथ में था, पाँच साल पहले आया था। उसमें रमेश ने लिखा था, “राधा, मैं जल्दी वापस आऊँगा। बस थोड़ा और समय।” उसके बाद न कोई पत्र, न कोई खबर।

राधा ने हार नहीं मानी। उसने गाँव में ही एक छोटा-सा स्कूल खोला, जहाँ वह बच्चों को पढ़ाती थी। उसकी जिंदगी अब उन बच्चों के इर्द-गिर्द घूमती थी। लेकिन हर रात, जब वह अकेली होती, रमेश की यादें उसे घेर लेतीं। वह सोचती, क्या हुआ होगा? क्या वह मुश्किल में है? क्या वह भूल गया है? या फिर… उसका मन उस ‘या फिर’ पर अटक जाता।

उस सुबह, जब राधा पत्र पढ़ रही थी, दरवाजे पर एक दस्तक हुई। उसने चौंककर दरवाजा खोला। सामने एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति खड़ा था। उसकी आँखें थकी हुई थीं, चेहरा समय की लकीरों से भरा था, लेकिन उन आँखों में कुछ ऐसा था जो राधा को जाना-पहचाना लगा।

“राधा?” उस व्यक्ति ने धीमी आवाज में पूछा।

राधा का दिल जोर से धड़का। “भ… भैया?” उसकी आवाज काँप रही थी।

वह व्यक्ति, जो कोई और नहीं, रमेश था, आगे बढ़ा और राधा को गले से लगा लिया। दोनों भाई-बहन रो पड़े। सालों की दूरी, अनकहे दर्द, और अनगिनत सवाल उस एक पल में जैसे गायब हो गए।

“कहाँ थे तुम, भैया? इतने साल… मैंने कितना इंतज़ार किया!” राधा ने रोते हुए कहा।

रमेश ने राधा को बैठाया और अपनी कहानी सुनानी शुरू की। शहर में नौकरी मिलने के बाद उसने कड़ी मेहनत की, लेकिन कुछ साल बाद वह एक दुर्घटना में घायल हो गया। अस्पताल में महीनों बिताने पड़े। उसका सारा पैसा इलाज में खर्च हो गया। जब वह ठीक हुआ, तो उसकी नौकरी जा चुकी थी। वह शर्मिंदगी और लाचारी के कारण राधा से संपर्क नहीं कर सका। उसने सोचा कि खाली हाथ लौटने से बेहतर है, वह कुछ कमाकर ही वापस आए। उसने छोटी-मोटी नौकरियाँ कीं, पैसा जोड़ा, लेकिन हर बार कोई न कोई मुश्किल आ खड़ी हुई। आखिरकार, पिछले साल उसने एक छोटा-सा व्यवसाय शुरू किया, जो अब चल पड़ा था।

“मैंने वादा किया था न, राधा, कि तेरा हर सपना पूरा करूँगा? मैं खाली हाथ नहीं आया,” रमेश ने अपनी जेब से एक लिफाफा निकाला। उसमें कुछ पैसे और एक छोटा-सा नोट था। नोट में लिखा था, “राधा के स्कूल के लिए।”

राधा की आँखें फिर से भर आईं। उसने लिफाफा लिया और कहा, “भैया, मुझे पैसे नहीं चाहिए थे। मुझे तुम चाहिए थे।”

रमेश ने राधा का हाथ थामा और बोला, “अब मैं कहीं नहीं जाऊँगा। यह मेरा आखिरी वादा है।”

उस दिन गाँव में एक अजीब-सी खुशी थी। राधा के स्कूल के बच्चे रमेश को देखकर उत्साहित थे। रमेश ने बच्चों के साथ समय बिताया, उनकी कहानियाँ सुनीं, और राधा को अपने सपनों को और बड़ा करने के लिए प्रेरित किया। उसने फैसला किया कि वह गाँव में ही रहेगा और राधा के स्कूल को और बेहतर बनाने में मदद करेगा।

रात को, जब राधा और रमेश घर की छत पर बैठे थे, राधा ने कहा, “भैया, तुम्हारे बिना ये साल बहुत भारी थे। लेकिन अब लगता है, सब ठीक हो जाएगा।”

रमेश ने मुस्कुराते हुए कहा, “राधा, जिंदगी ने हमें बहुत कुछ सिखाया। लेकिन एक बात याद रख—वादे टूट सकते हैं, लेकिन प्यार कभी नहीं टूटता।”

उस रात, कोहरा छट चुका था। आसमान साफ था, और तारे चमक रहे थे। राधा के दिल का बोझ हल्का हो चुका था। उसे यकीन था कि अब कोई वादा अधूरा नहीं रहेगा।

आपको कैसी लगी “आखिरी वादा (Akhiri Vada Emotional Hindi Kahani)” कमेंट करके बताये।

गांव की कहानियां (Village Stories in Hindi)

मजेदार कहानियां (Majedar Kahaniyan)

अकबर बीरबल कहानियां (Akbar Birbal Kahaniyan)

Scroll to Top